How to vpn work

 नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे इस the knowledge spectrum प्लेटफार्म पर।आज की यह हमारी पोस्ट बहुत ही खास हेने वाली है। आज इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे की इंटरनेट कैसे काम करता है और वी.पी.एन. के बारे मे..... 


साइबर खतरों से भरी दुनिया में जहां हर कोई अपनी ऑनलाइन प्राइवेसी के फिक्र करता है वही वीपीएन जो एक डिजिटल सुपरमैन लोगों की पहचान को छुपाकर उनको  इंटरनेट की दुनिया में सेफ रखता है 



कैसे यह वर्चुअल सुपर हीरो

तो आई जानते हैं  की कैसे यह वर्चुअल सुपर हीरो आपकी ऑनलाइन प्राइवेसी की रक्षा करता है इमेजिन करो की आप अपने लैपटॉप या  मोबाइल के साथ मस्ती कर रहे हो और तभी आपको कुछ कंटेंट या फिर कुछ खास प्रकार की वीडियो देखने  का मन हो तो आप टाइप करते हो और आपका डिवाइस अपना जादू शुरू कर देता है एक जिन की तरह ये आपकी सारी  इच्छा पूरी करता है इंटरनेट को छान मार कर बेहतरीन कंटेंट ढूंढता है और आपकी आंखों को सुकून देता है   आई मीन दिल को सुकून देता है ।


2. आईपी एड्रेस और इंटरनेट पर डेटा का प्रवाह :- 


आपके मोबाइल और घर के हर कनेक्ट डिवाइस का अपना यूनिक एड्रेस होता   है आपके लोकल नेटवर्क पर इसका स्पेशल नंबर होता है जिसे आईपीएल इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस कहते हैं जब   आप अपने डिवाइस पर कंटेंट रिक्वेस्ट करते हैं तो यह रिक्वेस्ट आपके वाई-फाई राउटर को भेजी जाति है एक  छोटे से डाटा पैकेट के रूप में इसमें डिवाइस का नाम कंटेंट का नाम और भी कुछ आईडेंटिफिकेशन इन्फो होती  है आपके वाई-फाई राउटर लोकल डिवाइस के आईपी एड्रेस अपने खुद के एड्रेस के नीचे छुपा देता है लेकिन   याद रखना है की कौन से डिवाइस से रिक्वेस्ट भेजी है राउटर मॉडेम के पास ये पैकेट भेजता है जो आपको बाहर  की दुनिया से कनेक्ट करता है जब ये पैकेट मॉडेम के पास पहुंच रहा है तो मॉडेम से आपकी आईएसपी या  इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के सबसे पास वाले कनेक्शन पॉइंट तक भेजो जाता है। जब ये पैकेट मॉडेम से आईएसपी  तक जाता है तो आपकी आईएसपी इस पैकेट को फिर से अपडेट करता है और उनके नेटवर्क को एक आईपी एड्रेस देता है।

 क्या आईपी एड्रेस से आपकी लोकेशन इंटरनेट में पता चलती है तो हां दोस्तों आपकी लोकेशन आपकी इंटरनेट   सर्विस एरिया में फिक्स होती है जहां पर आप रहते हैं ये कंटेंट जो आप ढूंढ रहे हैं वो एक फाइल या बहुत   सारी फाइल होती है जो दुनिया के किसी स्पेसिफिक सर्वर पर मौजूद होती हैं उसे सर्वर के पास भी एक आईपी   एड्रेस होता है और आपकी आईएसपी का यही काम होता है की आपको स्पेसिफिक सर्वर से कनेक्ट करना लेकिन किसी भी  कंपनी के पास सिर्फ एक सर्वर नहीं होता वो दुनिया भर में हजारों सर्वर रखते हैं जिसमें कंटेंट डुप्लीकेट   किया जाता है और सभी सर्वर में बैलेंस किया जाता है ताकि सभी यूजर्स को अच्छी स्पीड और क्वालिटी में  कंटेंट मिल सके ये कंपनी ऐसी वेबसाइट अप को डायनेमिक नाम सर्वर सीलिंग करती हैं जिसके थ्रू आपके लिए सबसे  क्लोजेस्ट सर्वर को ढूंढा जाता है इस प्रोसेस को डीएस लुकअप कहते हैं आपके आईएसपी को पुरी खबर है की   आप क्या रिक्वेस्ट कर रहे हैं? कौन से आईपीएस एड्रेस आपके लिए रिजर्व किया गए हैं? और आप किस साइट से कनेक्ट  कर रहे हैं ? 


3. HTTPS का और डेटा कि सुरक्षा:-

लेकिन कुछ डाटा ऐसा भी होता है जो ये आईएसपी भी नहीं देख सकती हैं।जब आपकी रिक्वेस्ट सही  सर्वर तक पहुंच जाती है और अगर वह सर्वर एचटीटीपीएस का उपयोग कर रहा है जैसा की आपके एड्रेस बार में पडलॉक  दिखता है तो आपके और उसे सर्वर के बीच में भेजें जाने वाले पैकेट इंक्रिप्टेड होते हैं मतलब की कोई   बीच में आपके डाटा को पढ़ नहीं सकता।आप और साइट ने एक दूसरे के साथ सीक्रेट की(key) शेअर किया हैं और जब   यह पैकेट आप तक पहुंच जाता है तब आप ही इस डाटा को डिक्रैप्ट कर सकते हैं इसके अलावा वीपीएन या वर्चुअल  प्राइवेट नेटवर्क भी एक बेहतरीन रास्ता हो सकता है। 


4. वीपीएन की कार्यप्रणाली:-

तो दोस्तों अब देखते हैं की वीपीएन कैसे कम करता है?  और कैसे आप अपने डाटा को सेफ रख सकते हैं? वीपीएन को  सेटअप करने और चलने के कई तरीके होते हैं लेकिन हम  ऐसे सेटअप को देखेंगे‌ जहां वीपीएन आपके सारे डाटा को हैंडल करें वीपीएन सॉफ्टवेयर आपकी डाटा को आपके डिवाइस से निकलने से पहले ही इंक्रिप्ट कर देता है। 

जैसा की पहले था लेकिन अब कुछ जरूरी फर्क है जब आपका  डाटा आपके वी-फी राउटर तक पहुंचता है तो वह पहले से ही इंक्रिप्ट हुआ होता है और फिर आपके आईएसपी के   सर्वर तक ये इंक्रिप्ट हुआ डाटा ही पहुंचता है लेकिन अगला कनेक्शन पॉइंट आपके वीपीएन के सर्वर नेटवर्क होता है।इसके बाद वीपीएन दूसरे डीएस लोग का प्रोसेस को हैंडल करता है आपके वीपीएन में आपके डिवाइस से आपके डेस्टिनेशन तक का पूरा रास्ता इंक्रिप्टेड होता है और यह वीपीएन एक्टिविटी रिकॉर्ड नहीं होती है।आपके वीपीएन लोघ में आपके इंटरनेट यूजेस या सर्च की गई वेबसाइटों की कोई जानकारी नहीं होती है। 


चलो दोस्तों अब देखते हैं की वीपीएन उपयोग करना 

आपके लिए कितना यूजफुल हो सकता है आपके डिवाइस से  डाटा निकलते ही वह वीपीएन के थ्रू इंक्रिप्ट हो जाता है। 

चलो दोस्तों मैं एक एग्जांपल के थ्रू आपको बताता हूं तो मान लो आप किसी कॉफी शॉप में अपने मोबाइल फोन से इंस्टाग्राम पर  स्क्रॉल कर रहे हैं तो आपको कॉफी शॉप में फ्री वाई-फाई नाम का एक फ्री नेटवर्क मिलता है और आप उससे कनेक्ट हो जाते हैं।अपने मोबाइल डाटा बचाने के चक्कर में लेकिन आपको पता नहीं होता है की एक हैकर ने भी इस नाम का एक हनी पोट नेटवर्क सेटअप किया है जिससे वह आपका सारा डाटा चूरा सकता है।इस सिचुएशन में अगर आप एक वीपीएन का उपयोग करते हैं तो आपका सारा डाटा इंक्रिप्शन के थ्रू इंक्रिप्टे कर सकते हो जिससे कोई हैकर आपकी पर्सनल इनफॉरमेशन चूरा नहीं सकता वीपीएन आपका आईपी एड्रेस भी हाईड करता है जिससे हैकर को आपके फोन को हैक करने में मुश्किल होती है। वीपीएन आपकी डिवाइस और वेबसाइट के बीच एक सीक्रेट टनल बनाता है जिससे आपका डाटा सेफ रहता है आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर आपके डिवाइस से वीपीएन सर्वर तक जान वाले इंक्रिप्ट डाटा को देख  सकता है। लेकिन उसको पता नहीं चला की यह एक वीपीएन सर्वर है।आपके आईएसपी को आपके वीपीएन से कनेक्ट होने  के टाइम और उसे कनेक्शन से कितना डाटा फ्लो हुआ है यह पता चला है लेकिन आपके आईएसपी आपके ऑनलाइन एक्टिविटी के बारे में और कुछ नहीं जानता।

आईएसपी का प्राइवेसी के मामले में बहुत खराब रिकॉर्ड है इसलिए वीपीएन उपयोग करना एक अच्छा आइडिया हो सकता है।अगर आप एचटीटीपीएस कनेक्शंस का भी उपयोग करते हैं तब भी आपकी पैकेट में कुछ रूटिंग इनफॉरमेशन होती हैं। जिसे मेटाडेता कहते हैं हैकर इस मेटाडेता को कलेक्ट कर सकता है और आपके खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। इसका एक एग्जांपल है की आप सस्पेक्टेड कॉपीराइटेड कंटेंट  वाले सर्वर जैसे की टेलीग्राम से डाटा ट्रांसफर करने के बाऐ में डीएमसीए नोटिस भेजा जा सकता है। आईएसपी आपकी एक्टिविटी के आधार पर कनेक्शन स्पीड को भी थ्रोटल करते हैं और या तो वह आपकी मेटा डाटा को या फिर आपके बारे में कलेक्ट की गई कोई भी इनफॉरमेशन को डाटा मर्केटर को बीच सकते हैं वीपीएन से आप इन घुसपैठियों से भी बच सकते हैं। 

कुछ देश में तो बहुत सख्त फायर बाल लगाएं जाते हैं जिससे कंटेंट को ब्लॉक   या सेंसर किया जाता है इस फायरवॉल से नहीं सिर्फ वेबसाइट तक पहुंचाना मुश्किल होता है बल्कि आप अपने डिवाइस से कोई सेंसेटिव फाइल किसी दूसरे जगह भेजना चाहते हो तो वो भी  बहुत मुश्किल हो जाता है लेकिन वीपीएन की  इंक्रिप्शन आपको ब्लॉक को बाईपास करने में हेल्प कर सकता है। कुछ कंटेंट,लोकेशन रिस्ट्रिक्टेड भी होता है जिससे सर्वर स्पेसिफिक ज्योग्राफी लोकेशन के बाहर के कनेक्शंस को अलाउ नहीं करता जैसा की चीन में युटुब बैन है और इंडिया में टिकटोक लेकिन वीपीएन प्रोवाइडर्स दुनिया भर में सर्वर रखते हैं और आपको चूज करने का ऑप्शन देते हैं की आप आपकी लोकेशन कहां देंगें।इससे लोकेशन रिस्ट्रिक्शंस को भी बाईपास करना  आसन हो जाता है । 


5.वीपीएन की लिमिटेशंस:-

लेकिन आपको वीपीएन की लिमिटेशंस का भी पता होना चाहिए अगर वीपीएन आपके डाटा और एक्टिविटी का लोघ मेंटेन करता है तो वो लोघ पॉसिबल है कि ऑब्टेन हो सकता है। इसलिए फ्री के वीपीएन तो आपको अवॉइड ही करने चाहिए। इस बात पर सवाल है की आप अपनी इनफॉरमेशन को हैंडल करने के लिए किस पे ज्यादा भरोसा करते हो कुछ देश में तो वीपीएन का उपयोग करना ही ईलीगल है।

और ये वीपीएन आईपीएल एड्रेस के पूरे रेंजर्स को ब्लॉक करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं आप उन वीपीएन प्रोवाइडर्स के साथ जुड़े जिनके पास कई सर्वर हैं जो रेगुलरली अपडेट होते रहते हैं जिससे आपको एक कदम आगे रहने में हेल्प मिलेगी। कुछ वीपीन ऑफ फ्यूज केटेट सर्वर भी ऑफर करते हैं जो पैकैट से पहचान को दूर कर देते हैं ताकि डाटा वीपीएन ट्रैफिक के रूप में पहचान नहीं पाये।  एक बात तो पक्की है की वीपीएन प्राइवेसी के लिए अच्छे होते हैं। लेकिन अगर आप वीपीएन का उपयोग करके अपने अकाउंट्स में लॉगिन करते हैं तो यह आपकी एनोनिमिटी प्रोवाइड नहीं करते वे जानते हैं की   आप कौन हैं? लेकिन उन्हें आप कहां हैं? ये पता नहीं चला। 

अगर आप लॉगिन नहीं है तो भी कुछ वेबसाइट्स आपके  डिवाइस के यूनिक डीटेल्स तक पहुंच शकतीं है। जैसे की इंस्टॉल किया गए फौंट्स ब्राउज़र या आस वर्जन डिवाइस टाइप आदि इसको ब्राउज़र फिंगरप्रिंटिंग कहते हैं।इसके जरिए वे आपके डिवाइस को आपकी पहचान से जोड़ने के लिए उन यूनिक ट्रेड्स का यूज कर सकते हैं। 

कुछ नेटवर्क्स को डीप पैकेट इंस्पेक्शन के लिए सब्जेक्ट किया जा सकता है जिसमें ऑटोमेटिक सॉफ्टवेयर पैकेट को स्पेसिफिक इन्फो के लिए स्कैन करता है इंक्रिप्शन के बावजूद भी इस बारे में कुछ स्पैक्यूलेशन है की डीप पैकेट इंस्पेक्शन अब भी डाटा के बारे में कुछ पता लगा सकता है यह एक ड्राफ्ट गिफ्ट जैसे काम करता है जिसमें उसके शॉप से पता चल सकता है की उसमें क्या है। 


इन लिमिटेशंस को हैंडल करने के लिए आप नए बिहेवियर अपना सकते हैं जिससे पब्लिक और प्राइवेट एक्टिविटीज अलग रखी जा सकती है कुछ वीपीएन स्प्लिट टर्निंग को अलौव करते हैं जिसका मतलब है की आप चूज कर सकते हैं की कौन सा ट्रैफिक वीपीएन के थ्रू जाएगा और कौन सा नहीं इसका मतलब है आपकी ऑनलाइन एक्टिविटीज  के लिए वीपीएन एक पर्सनल बॉडीगार्ड की तरह कम करेगा।

आपके लिए क्या आप अपनी लाइफ के फूल मजे लेना चाहते हो?,क्या आप फेवरेट इंग्लिश या स्पेनिश टीवी शोवज या पब जैसा गेम खेलने चाहते हो,या आप किसी कॉफी शॉप का फ्री वाई-फाई यूज करना चाहते हो या, फिर क्या आप अपना वैल्युएबल डाटा आईएसपी और मार्केटस के हाथ में मुफ्त में दे रहे हैं ।

तो ना करें ऐसी गलतियां दोस्तों वीपीएन का यूज करें और अपनी ऑनलाइन प्राइवेसी को बचाइए और अगर आप एक इंटरनेशनल स्पा या हैकर बनना चाहते हो और एक दुश्मन देश के खिलाफ आपको अपनी असली पहचान को पूरा मिटाना चाहते हो तो बस एक वीपीएन पर भरोसा करने से काम नहीं चलेगा अपना  एकदम सॉलिड प्लेन बना जैसे मिशन इंपॉसिबल वाला स्टाइल ताकि आपकी आईडेंटिटी का गेम स्ट्रांग हो जाए।ऐसे में वीपीएन के अलावा और भी ट्रिक और टैक्स का इस्तेमाल करो जैसे जेम्स बंद का स्टाइल   जहां गेजेट्स और दिस गैस का सही मिक्सर होना चाहिए।

तो दोस्तों उम्मीद है ब्लॉग  पसंद आई होगी अगर आपको

 और भी अमेजिंग कंटेंट चाहिए तो कमेंट करे और शेर करना ना भूले।

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